1 से 2 साल तक के बच्चो को टॉडलर कहा जाता है इस उम्र में अधिकांश बच्चा ब्रेस्टफीडिंग छोड़ चूका होता है और ऊपरी आहार लेना स्टार्ट कर देता है । जैसे बच्चे 1 साल से पर होते है उनकी भूख कम हो जाती है क्युकि उनकी शारीरिक विकास की गति धीमे हो जाती है ,और इस समय मानसिक विकास की गति बहुत तेज हो जाती है। दो साल के होते-होते बच्चे लगभग सबकुछ खाना शुरु कर देते हैं। इसलिए ऐसा आहार बच्चे को दें जिससे उसका संपूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास हो सके
अपने बच्चे को विभिन्न प्रकार के पौष्टिक आहार जैसे पत्तेदार हरी सब्जियां, ताजे फल, फलियां और इसी प्रकार के अन्य आहार दें। अपने बच्चे को भरपूर अनाज खाने के लिए प्रोत्साहित करें, परन्तु उनमें अधिमानत: साबुत अनाज खाने की आदत डालें।
शारीरिक विकास की गति बहुत धीमे होने के कारण अधिकतर माता -पिता परेशान रहते है कि हमारा बच्चा कुछ खाता नहीं है। बच्चो को ऐसे आहार देना चाहिए जो हेअल्थी और नुट्रिशन्स से भरपूर हो और इस समय बच्चो के डाइट में जरुरी पोषण जैसे कि :-
1 . प्रोटीन – पनीर ,सोया ,मुंग ,फ्रूट श्रीखंड ,दाल, दूध ,अंडे
2 .माइक्रोन्यूट्रिशन्स – हरी सब्जियाँ ,नट्स ,फ्रूट्स ,आयोडीन और आयरनयुक्त आहार
3 .कार्बोहाइड्रेट्स – बच्चो को मैदा ,बिस्किट्स देने से बचे एवं साबुत अनाज ,मक्का ,गेंहू ,रागिचिला इत्यादि।
4 . फैट – हेल्थी ब्रेन की डेवलपमेंट के लिए अखरोट ,अलसी ,तिल ,चिआ सीड्स ,फिश इनमे ओमेगा 3 पाया जाता है। घी ,बटर ,चीज़ आदि भी डाइट में शामिल किया जा सकता है।
यदि ये जरुरी पोषक तत्त्व बच्चो के आहार में सम्मिलित न करे तो बच्चो के विकास पर परेशानिया आने लगती है जैसे कि :-
– आँखों की रौशनी कम होना
– .थकान और सुस्त महसूस करना
– बार बार बीमार पड़ना
– इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होना
– कम वजन, अधिक वजन या मोटापा होना
– कब्ज या आंत्र की आदतों में बदलाव
– पीला या सुस्त होना
– दांतों में सड़न
– ख़राब शारीरिक विकास
इसलिए बच्चो को हमें ऐसे पोषक आहार देना चाहिए जिससे वह स्वस्थ रहे और बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास को बढ़ावा मिल सके ।